गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

दीर्घेश्वर मन्दिर रवनी, मझौली राज, सलेमपुर, जिला देवरिया 
                        अपने बचपन के बाद मुझे याद नहीं है कि मैंने इस मन्दिर को बहुत अच्छे से देखा हो । इस मन्दिर के बारे में बचपन की याद बहुत नोस्टाल्जिक (अतीत को याद करने की भावना) कर देती है । हम लोग पूरे साल अरन्डी के बीज इकट्ठा करते । इसके लिये हम लोग अरन्डी के बीज को खेल- खेल में एक दूसरे से जीतते एवम इकट्ठा करते । रवनी के शिव मन्दिर पर शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता था । सब लोग उसमें जाते थे । हम लोगों को घरवालों से कुछ पैसे मिल जाते तथा कुछ पैसे इस अरन्डी को बेचकर प्राप्त कर लेते । 
                         मेले में हम लोग बासुरी (पिपिहरी) को खरीदते । वापसी के समय पर पिपिहरी बजाते आते उस खुशी को आज हम किसी भी खुशी से अतुलनीय पाते हैं । आज उस स्थान का विकास भी आधुनिक तरीके से हो गया है । आज बहुत सालों बाद गया तो वहां टीले जैसे ऊचे स्थान पर चढने की जरुरत ही नहीं हुई और न हीं टीले पर से नीचे उतर कर मन्दिर मे जाने का रोमांच मिला । हालांकि आज हम कह सकते हैं कि पहले से आरामदेह हो गया है ।
                           इसका मतलब यह नहीं है कि मैं आज के हुए विकास से सहमत नहीं हूं । निश्चित रुप से विकास से अतीत को उसी रुप में पूरी तरह से संजोया नहीं जा सकता हैं । आज यह मन्दिर पूरे इलाके के लिये एक दर्शनीय स्थल के रुप में विकसित हो गया है । शिवजी की कृपा इसी तरह और स्थलों को भी प्राप्त होती रहे । आइए आज इस मन्दिर का दर्शन करें ।  

दिर्घेश्वर  मंदिर , रवनी , मझौली राज , सलेमपुर , देवरिया 


दिर्घेश्वर  मंदिर , रवनी , मझौली राज , सलेमपुर , देवरिया   

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