शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

बनकटा मिश्र से भटनी वाया दनउर  के लिए छोटी गंडक पर बना पुल का महत्त्व 


                           पिछली पोस्ट में मैंने आप को गांव के पश्चिम मे विकसित किये जा रहे साई बाबा के मन्दिर का जिक्र किया था । इस बार मैं आप को मन्दिर के पास से गुजर रहे नव विकसित परन्तु भविष्य के लिये असीम संभावनाओं को अपने गर्भ में समेटे हुए बनकटा मिश्र एवम भटनी के बीच वाया दनउर के लिये छोटी गन्डक नदी पर बने पुल के बारे में चर्चा करुंगा ।

                          आज से पच्चीस तीस वर्ष पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि आज हम लोग रोड से बनकटा मिश्र से भटनी की यात्रा अपने मोटरसाइकिल या जीप कार से कर सकेंगे ।  परन्तु यह आज की वास्तविकता है । आज हम कहीं से आवें तो भटनी से अपने साधन से और शीघ्र ही सार्वजनिक साधन से भी अपने गांव बनकटा मिश्र आसानी से आ सकते हैं । 
                           इस विकास से भविष्य में नये आयाम भी जुड़ेंगे । पहले बनकटा मिश्र सीधे भाटपार रानी एवम सलेमपुर से जुड़ा था । गांव का सीधा सम्पर्क दनउर, नोनापार एवम भटनी से नहीं था । परन्तु अब हो जायेगा ।
                            इस पक्ष की बानगी पुल के शुरु होते ही अनेक ठेलों एवम दुकानों के चालू हो जाने से ही लग जाती है । विकास का यह पक्ष बहुत सुन्दर लगता है । हमें यह कल्पना करने से ही रोमांच हो जाता है कि कभी हम सब्जी लेने के लिये एवम चाय पीने के लिये महुआबारी जाते थे तथा वहां की अधिकांश सब्जियों के खरीददार हमारे गांव के लोग हुआ करते थे ।   

पुल की झलकियां 


पुल के उपर बांयें से दांयें  ब्लोगर , ब्लोग्गर के मामा जी के सुपुत्र श्री रामप्रकाश शुक्ल जी, श्री उमेश मिश्र जी, श्री अवधेश दुबे जी



 पुल के पहले बनकटा मिश्र गांव के पश्चिम में कभी खाली रहे स्थान की व्यावसायिक उपयोग की शुरुआत होते देखते ब्लोगर , ब्लोग्गर के मामा जी के सुपुत्र श्री रामप्रकाश शुक्ल जी, श्री उमेश मिश्र जी, श्री अवधेश दुबे जी


        पुल के उपर से लिया गया विहंगम दृश्य जिसमें बड़का गांव के पास का रेल का पुल दीख रहा है



पुल के उपर से लिया गया पास का दृश्य

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