रविवार, 26 जुलाई 2020

सेवानिवृत्ति का एक साल पूर्ण 


मुझे राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त हुए 1 साल पूरा हो चुका है। सेवानिवृत्ति से पूर्व सेवानिवृत्त होने का अनुभव करने की इच्छा बहुत होती थी। ऐसा लगता था कि सेवानिवृत्त व्यक्ति का जीवन एक अलग ही किस्म का बहुत आनंददायक होता है जिसमें बेफिक्री और आनंद की बहुतायत होती है। किसी किस्म का कोई दबाव नहीं होता है। क्योंकि राजकीय सेवा में रहते हुए हर समय बैठक, लक्ष्य की पूर्ति, उच्चाधिकारियों के समय-समय पर निर्देश, सूचनाएं, जनता से जुड़े हुए विभिन्न संवेदनशील मुद्दे कभी-कभी नियमों के अनुकूल तथा कभी-कभी नियमों के प्रतिकूल परंतु किसी भी तरीके से उसको पूर्ण करने का दबाव। इन सब दबावों से मुक्ति का एक ही इलाज सेवानिवृत्ति ही प्रतीत हो रही थी जिसको प्राप्त करना बहुत ज्यादा समय लगने वाला लगता था। आज इसको प्राप्त हुए 1 वर्ष हो चुका है। 
अब इस पर मंथन करने पर इस तरीके की किसी उत्तेजना या विशेष आनंद की अनुभूति शेष नहीं रह गई है। ऐसा लगता है कि यह जीवन का सामान्य क्रम है। जैसे शिक्षा के बाद नौकरी में आने की प्रति जो उत्कंठा हुआ करती थी वह नौकरी प्राप्त करते ही पूर्ण हो गई। इसी प्रकार नौकरी से सेवानिवृत्त होने की सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्ण हो गई।
राजकीय सेवा में रहते हुए बहुत सारी योजनाएं बनाई थी कि रिटायरमेंट के बाद क्या-क्या करेंगे। कहां-कहां जाएंगे। रिटायरमेंट का पूरा एक साल बीतने में ऐसा लगता है कुछ समय ही नहीं लगा बहुत जल्दी 1 साल पूरा हो गया। वैसे इसमें कोविड-19 का भी बहुत योगदान है। इसने सभी को घरों में कैद करके एक विशेष रूटीन में बांध दिया और उसी में सभी को जीने के लिए मजबूर  कर दिया। 
पूरे साल के लिए बनाई गई अनेकों पूर्व नियोजित यात्राओं को स्थगित करना पड़ा तथा उनके टिकट कैंसिल कराने पड़े एवं अनेक सारी योजनाओं से जुड़ी इच्छाओं की पूर्ति अधूरी ही रह गई। मुंबई दर्शन तथा उत्तराखंड के चारों धाम की यात्रा इसमें विशेष रूप से नहीं कर पाने का मलाल रह गया है देखें भगवान कब  इसे पूरा कराते हैं।