रविवार, 26 अप्रैल 2020

कोविड-19

कोविड-19 के कारण उत्पन्न महामारी से जारी की गई लॉक डाउन की स्थिति से सभी लोग अपने अपने घरों में कैद की स्थिति महसूस कर रहे हैं। बहुत दिनों से मैं इस विषय पर लिखने की सोच रहा था। साथ ही साथ अपने ब्लॉग पर बहुत दिनों से नहीं आने के कारण इस पर लिखने की इच्छा हुई।
पहले ऐसा लगता था की हम सब बहुत व्यस्त हैं। हमारे पास समय का बहुत अभाव है। लेकिन लाक डाउन के दौरान जब घर से बाहर नहीं निकलना है ऐसी स्थिति में कोई दिनचर्या नियत नहीं है। दिन और रात, सुबह और शाम में कोई अंतर ही नहीं महसूस हो रहा है। समय की प्रचुरता के कारण उन सभी लोगों से संपर्क करने की इच्छा हो रही है जिनसे बहुत लंबे समय से भी बात या संपर्क नहीं हुआ है। यह जानने की इच्छा भी बहुत प्रबल हो रही है कि इन्हीं परिस्थितियों में स्वजन और आत्मीय जो अलग-अलग स्थानों पर निवास कर रहे हैं उनकी दिनचर्या और उनकी मन:स्थिति कैसी है ?
अभी तो ऐसा लगता है कि लाक डाउन या घर में सीमित रहने की स्थिति बहुत जल्दी समाप्त नहीं होने वाली है। जब तक कोविड-19 के इलाज का स्थाई समाधान या दवा विकसित नहीं हो जाती है तब तक अलग-अलग रूपों में आंशिक या पूर्ण लाक डाउन की स्थिति बनी रहेगी।
ऐसा बताया जाता है कि स्पेनिश फ्लू के दौरान भी पूरी दुनिया में बहुत व्यापक स्तर पर महामारी हुई थी जिसमें बहुत सारे लोग मरे थे। उस समय हम लोग पैदा नहीं हुए थे इसलिए उसका अनुभव हमारे जीवन में नहीं है। परंतु आज के युग में कोविड-19 से उत्पन्न जीवन एवं इसकी दिनचर्या से आमना-सामना होने पर ऐसा लग रहा है कि उस समय भी लोग इसी तरह से त्रस्त हुए होंगे। आज भी जीवन रक्षक दवा उपलब्ध नहीं होने से उस समय से समानता की जा सकती है। यद्यपि आज का युग बहुत विकसित युग माना जाता है परंतु कोविड-19 के संदर्भ में जीवन रक्षक दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण मानव के असहाय हो जाने से आज भी हम अपने को उसी स्थिति में पा रहे हैं।