सोमवार, 26 दिसंबर 2011

गाँव की सर्दी

                            यहाँ झालावाड में रहते हुए  देवरिया जिले के बनकटा मिश्र गाँव की ठंढ को याद करते हुए झालावाड का नरम मौसम बहुत अच्छा लगता है | परन्तु जब गर्मी आती है तो गाँव की नमीयुक्त आर्द्र मौसम तथा सुहाना परिवेश की याद भी सताने लगती है | इसे क्या कहेंगे? कहते है की  जहाँ रहो वहीं की सबकुछ अच्छी लगनी चाहिए | यह निष्ठा की बात है | क्या मन की बात करना निष्ठा से परे हो जाना होता है क्या? बहुत बार बहुत कुछ ऐसा मन में आता है की ऐसा कुछ किया जाये जो तत्काल बहुत अच्छा लगे परन्तु उसका परिणाम सुखद प्रतीत नहीं होने से मन पर संयम का दबाव महसूस होने लगता है | विशेष रूप से गाँव में गुजारे बचपन के समय का क्या कहना? परन्तु उसे न तो वापस लाया जा सकता है और न ही उसके अनुसार निर्द्वंद्व होकर जिया ही जा सकता है |

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