मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011


आज दीपावली के दिन अपने गाँव से दूर रहने पर कैसा लगता है यह सिवाय स्वयं के कोई और नहीं बता सकता है | विशेष रूप से वे जो अपने गाँव से दूर रहकर नौकरी करते हों | विभिन्न अवसरों पर गाँव की याद कुछ इस तरह से ताजा हो जाती है की बस कुछ सूझता ही नहीं | खैर ब्लॉग्गिंग के आज के युग में यह एक बहुत अच्छी तकनीक हमारे हाथ लगी है जिससे मन को हल्का करके सुकून महसूस किया जा सकता है |
सभी को दीपावली की शुभकामनाएं एवं मुबारक

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